प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर शिक्षा विभाग ने की कारी करवाई - News TV Bihar

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर शिक्षा विभाग ने की कारी करवाई

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प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर शिक्षा विभाग ने की कारी करवाई

जिला अपेलीय प्राधिकार ने बेटा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर कार्रवाई का आदेश दिया है पर अधिकार ने यह आदेश शिक्षा विभाग और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना के निर्देश की गलत व्याख्या कविता के तीन प्रखंड शिक्षकों की एक वार्षिक वेतन वृद्धि की कटौती के मामले में दिया है

प्राधिकरण प्रखंड शिक्षक और मनीष कुमार सिंह संतोष कुमार और प्रवीण कुमार सिंह को दे एक वार्षिक वेतन वृद्धि वेतन निर्धारण के साथ सुनिश्चित करने और उसके अनुरूप बताएं अंतर वेतन की गणना करो उसका भुगतान करने का भी आदेश जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को दिया है पूरे मामले की सुनवाई के बाद या आदेश जिला के प्राधिकार के पिता सिंह पदाधिकारी में दो दास के 5 मार्च को दिया है ।

प्राधिकार ने अपने आदेश में कहा है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने भी भाग्य आदेश संख्या 1900 जो चार मार्च 2019 को निर्गत है एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना के ज्ञापन 16 और 87 जो 4 मार्च 2021 को निर्गत है कि गलत व्याख्या करते हुए प्रखंड शिक्षक मनीष कुमार सिंह और संतोष कुमार व प्रवीण कुमार सिंह का एक वार्षिक वेतन वृद्धि बिना वेतन निर्धारण की कटौती की गई है जो अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण है

दरअसल प्रखंड शिक्षक मनीष कुमार सिंह संतोष कुमार और प्रवीण कुमार सिंह द्वारा जिला पीली प्राधिकार में दायर अपील में कहा गया था कि बेटा में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी नरेश कुमार द्वारा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के पात्र 1687 जो 4 मार्च 2021 को निर्गत है कि गलत व्याख्या कर अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करते हुए बिना वेतन निर्धारण किया ही मनमानी ढंग से एक वार्षिक वेतन वृद्धि काट ली गई उसे आदेश को निरस्त करते हुए अंतरराष्ट्रीय का व्यास सहित भुगतान करने एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर कार्रवाई का अनुरोध अपील प्राधिकार में किया था

इस मामले को पारडेकर ने सुनवाई की तो पूर्व सूचना के बावजूद सनी तिथि 13 जून 2023 5 अगस्त 2023 को 28 अगस्त 2023 को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अनुपस्थित रहे उनके द्वारा अपील बिंदु पर कोई जवाब भी पदाधिकार में दाखिल नहीं किया गया इस प्राधिकार ने अपने आदेश का और मानना माना है सनी की इन तीनों तिथियां पर प्रखंड विकास पदाधिकारी भी अनुपस्थित रहे उनके द्वारा भी अपील बिंदु पर कोई जवाब भी प्राधिकार में दाखिल नहीं किया गया सुनवाई में उपस्थित होकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने बताया कि नगर प्रखंड पंचायत शिक्षकों का पुनर शिक्षक वेतनमान प्रशिक्षित वेतनमान का निर्धारण शिक्षा विभाग के उप सचिव के ज्ञापन 1904 अक्टूबर 2019 को निर्गत है कि आलोक में किया गया है ।

जिसकी कंडिकाचार में स्पष्ट अंकित है की अपार शिक्षित नियोजित शिक्षकों जिनकी सेवा अवधि 2 वर्ष पूर्ण होने की तिथि या सेवाकालीन प्रशिक्षण प्राप्त करने की तिथि जो बाद में हो की तिथि से पूर्व में गेट पर स्वीकृत करने का प्रावधान था ऐसे अपशिष्ट शिक्षकों को ग्रेड पे स्वीकृत करने की तिथि को लेकर लेवल 01 में जी इंडेक्स में मूल वेतन प्राप्त हो रहा था अपने कर्मचारी लेवल 23 और 4 जैसा कि पे मैट्रिक्स में निर्धारित है के समस्थानिक इंडेक्स में अंकित मूल वेतन दे होगा जो अधिकतम लेवल 23 और 4 के इंडेक्स तीन से अधिक नहीं होगा

इस दिशा निर्देश के आलोक में आप प्रशिक्षित शिक्षकों को जिनकी सेवा अवधि 2 वर्ष पूर्ण होने की तिथि एवं सेवाकालीन प्रशिक्षण प्राप्त करने की तिथि जो बाद में हो के आधार पर फरवरी 2014 जुलाई 2014 में नियुक्त शिक्षकों के वेतन निर्धारण के क्रम में जुलाई 2014 के नियुक्त शिक्षक को एक वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ फरवरी 2014 वाले नियुक्त शिक्षक से पहले प्राप्त कर रहे हैं इसके उदाहरण भी जिला कार्यक्रम प्राधिकारी स्थापना द्वारा सुनवाई में दिए गए सुनवाई में प्राधिकार इस नतीजे पर पहुंचा कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा ज्ञापन 334 25 नवंबर 2021 में एक वार्षिक वेतन वृद्धि हटाने का निर्देश दिया गया है ।

वहीं दूसरी ओर अन्य प्रखंड के गठन पर शिक्षकों को 25 नवंबर 2021 के पूर्व एवं बात की तिथि में उक्त वेतन वृद्धि जोड़कर वेतन निर्धारण किया गया प्राधिकार के आदेश के मुताबिक जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना के पात्र 1687 जो 4 मार्च 2021 को नेतृत्व से स्पष्ट है की विभागीय संकल्प संख्या 1904 अक्टूबर 2019 को निर्गत है कि आलोक में फरवरी 2014 एवं जुलाई 2014 में न्यूज शिक्षकों के वेतन निर्धारण के बीच संगति के संदर्भ में प्राथमिक शिक्षा निदेशक से मार्गदर्शन की मांग की गई है जब विभाग से मार्गदर्शन की प्रक्रियाशा है फिर भी ना मार्गदर्शन प्राप्त हुए किसी प्रकार की कारवाई किया जाना भी विधि सम्मत एवं नैसंगिक न्याय के अंतर्गत नहीं आता है

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