अब के के पाठक ने रूटीन को लेकर जारी किए तीन आदेश , दुविधा में पड़े हेडमास्टर व शिक्षक
अब के के पाठक ने रूटीन को लेकर जारी किए तीन आदेश , दुविधा में पड़े हेडमास्टर व शिक्षक
पाठक (KK Pathak) का शिक्षा विभाग लगातार सख्ती बरत रहा है।अब के के पाठक ने रूटीन को लेकर जारी किए तीन आदेश , दुविधा में पड़े हेडमास्टर व शिक्षक
विगत 15 दिनों के अंदर माध्यमिक शिक्षा निदेशक और बीईपी के कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा अब तक अलग-अलग तीन क्लास रूटीन जारी किया जा चुका है।
इससे प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के बीच ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। एक ही घंटी में अलग-अलग वर्गों में एक ही विषय पढ़ाने के निर्देश से एचएम-शिक्षक दोनों दुविधा में पड़ गए हैं।
इन आदेशों में सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये है कि एचएम को सख्ती से यह भी निर्देश दिया गया है कि वे इसमें कोई भी बदलाव अपनी ओर से नहीं कर सकते हैं, अन्यथा उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
जानकार बताते हैं कि जिले में उत्कृष्ट व आदर्श शिक्षण व्यवस्था का उदाहरण बने कई मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने खुलकर इस रूटीन के विसंगतियों को साझा किया।
प्रधानाध्यापकों ने बताया कि राज्य स्तरीय रूटीन में पहली घंटी रोज विषय बदलने से कक्षा को स्थायी वर्ग शिक्षक दे पाना असंभव हो जाएगा। जिससे नियमित रूप से विद्यालय के वर्ग व्यवस्था, नियंत्रण और अनुश्रवण की व्यवस्था पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
विद्यालयों में कक्षा एक से 12 के लिए दैनिक शिक्षण कार्य सारणी (क्लास रूटीन) निर्धारित करने के लिए निदेशक माध्यमिक शिक्षा और राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी बिहार शिक्षा परियोजना के द्वारा क्रमशः 28 नवंबर को अधिसूचना जारी की गई।
फिर छह दिसंबर और अब दिसंबर को अलग-अलग निर्देश के साथ रूटीन का सख्ती से अनुपालन का आदेश दिया गया है। जबकि पूरे देश में क्लास रूम ट्रांजेक्शन (कक्षा शिक्षण) की प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय पाठ्य चर्या की रूपरेखा के अनुरूप दैनिक शिक्षण सारिणी का निर्धारण विद्यालय स्तर पर अकादमिक कार्यों के नियमन और नियंत्रण का कार्य है।
इसके लिए विद्यालय के प्रधानाध्यापक सक्षम प्राधिकार होते हैं। जानकार बताते हैं कि एनसीईआरटी, एससीईआरटी और डायट जैसी एजेंसियां समय-समय पर रूटीन संबंधी किसी भी तरह के संशोधन के लिए विद्यालयों को एडवाइजरी जारी करती हैं। जिसका सभी स्कूल अपनी अपनी व्यवस्था और सुविधा के अनुसार अनुपालन करते हैं।
बिहार एजुकेशन कोड, शिक्षा अधिकार अधिनियम-09, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2023 एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 जैसे नियामक दस्तावेजों और एनसीईआरटी और एससीईआरटी जैसी प्राधिकृत संस्थाओं के द्वारा कभी भी किसी भी निदेशक या किसी कार्यक्रम पदाधिकारी को विद्यालय स्तर के लिए रूटीन सेट करने का सक्षम प्राधिकार नहीं बनाया गया है।
राज्य द्वारा जारी माडल रूटीन के अनुसार विद्यालय स्तर पर शिक्षकों की योग्यता व अभिक्षमता के अनुरूप कक्षाओं का समायोजन संभव नहीं हो पा रहा है। अधिकांश विद्यालय में इस रूटीन के अनुसार कक्षा संचालन के लिए एक साथ एक ही विषय के कई शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।
रूटीन को सजेस्टिव और लचीला नहीं रखने कारण विद्यालय में शिक्षकों के अवकाश पर या अन्यत्र प्रतिनियुक्ति पर जाने के कारण कक्षा कार्य की रिक्ति का समायोजन प्रधानाध्यापक कैसे करेंगे, इसका कोई निदान नहीं बताया गया है।
उक्त रूटीन निर्धारण में एनसीईआरटी, एससीईआरटी जैसी नियामक अकादमिक संस्थाओं के विशेषज्ञों, शिक्षा शास्त्रियों और विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से कोई राय भी नहीं ली गई है। राज्य द्वारा जारी इन आदेशों पर कोई भी पदाधिकारी कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।