बिहार व BJP के लिए दुखद खबर , बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अब नही रहे , दिल्ली AIIMS में ली अंतिम सांस
बिहार व BJP के लिए दुखद खबर , बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अब नही रहे , दिल्ली AIIMS में ली अंतिम सांस
5 जनवरी 1952 को पटना में जन्मे बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी का निधन हो गया है. वो कैंसर से पीड़त थे और दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था. उपमुख्यमंत्री के साथ ही वो राज्यसभा सांसद, बिहार सरकार में वित्त मंत्री, लोकसभा सांसद भी रहे.
बिहार की राजनीति में बीजेपी का चेहरा रहे सुशील कुमार मोदी अब इस दुनिया में नहीं हैं. 72 साल के सुशील कुमार मोदी कैंसर से पीड़ित थे. बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने X पर पोस्ट करके उनके निधन की जानकारी दी.
वह बिहार में बीजेपी का एक ऐसा चेहरा थे, जिनकी बदौलत बीजेपी की सियासत दशकों तक चमकती रही.
जब नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ महागठबंधन की सरकार बना ली, तब उसे तोड़कर वापस बीजेपी को सत्ता में लाने की धुरी सुशील मोदी ही रहे. उन्होंने लगातार एक के बाद एक 48 प्रेस कांफ्रेंस कर लालू यादव के परिवार को पूरी तरह एक्सपोज कर दिया.
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का निधन, एम्स में चल रहा था कैंसर का इलाज
लालू परिवार ने जताया निधन पर शोक
राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव सहित राजद परिवार ने 1974 आंदोलन के छात्र नेता रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के निधन पर गहरी शोक संवेदना प्रकट की. लालू प्रसाद यादव ने कहा कि हमने एक संघर्ष और आंदोलन का साथी को खो दिया है. इनकी कमी हमेशा महसूस करूंगा. सन 74 के आंदोलन में हम दोनों ने साथ में संघर्ष और आंदोलन करके अपनी पहचान बनाई थी. साथ ही हमारे साथ छात्र आंदोलन में हमारी टीम के सदस्य थे.
2022 से हाशिये पर जाने लगे थे सुशील मोदी
हालांकि, राजनीति के उत्तरार्ध में सुशील मोदी की राजनीतिक विरासत दरकती चली गई. निधन से दो साल पहले यानी साल 2022 से ही सुशील कुमार मोदी की राजनीति हाशिये पर जाने लगी थी. उस साल बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने बिहार का दौरा किया. पार्टी के दो बड़े कार्यक्रम हुए, लेकिन पोस्टर में सुशील मोदी को जगह नहीं मिली. वहीं, बैठकों में भी वो सबसे आगे नहीं दिखे.
दोनों बड़े आयोजनों से मोदी की दूरी
बिहार में साल 2022 में बीजेपी ने दो बड़े कार्यक्रम किए. पहला कार्यक्रम भोजपुर के जगदीशपुर में हुआ, जिसकी जिम्मेदारी गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय को सौंपी गई थी. उस कार्यक्रम से सुशील मोदी कहीं भी सीधे तौर पर नहीं जुड़े रहे. दूसरा कार्यक्रम 30 और 31 जुलाई को पटना में हुआ. वहां बीजेपी के सभी मोर्चों की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई.
इसकी पूरी जिम्मेदारी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को दी गई. उन्होंने भी किसी और को आगे नहीं आने दिया और सुशील मोदी से जुड़े नेताओं को दूर ही रखा गया. इतना ही नहीं इस दौरान पटना के पार्टी कार्यालय में राज्य के नेताओं की शीर्ष नेताओं के साथ एक बैठक हुई. इसमें भी सुशील मोदी सबसे पीछे बैठे दिख रहे हैं.
कद घटाने की ये वजहें रहीं बड़ी
सुशील मोदी के दिल्ली जाने के बाद उनके गुट के नेता भी अब सक्रिय भूमिका में नहीं दिखे. वहीं, कई सियासी जानकारों का मानना था कि बिहार में सुशील मोदी की भूमिका बीजेपी के नेता की कम, बल्कि नीतीश कुमार के सहयोगी के तौर पर ज्यादा हो गई थी. इसलिए भाजपा ने उनका कद घटा दिया था. वह बीजेपी के अन्य नेताओं को बढ़ने का मौका नहीं दे रहे थे.
नीतीश के बचाव में उतरे थे सुशील मोदी
वहीं, सियासी जानकारों का कहना है कि बिहार बीजेपी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष से सुशील मोदी की दूरी का एक कारण नीतीश कुमार भी थे. अग्निपथ योजना के मुद्दे और जायसवाल के घर पर हुए हमले के बाद जब वो बिहार सरकार पर हमलावर हुए, तो नीतीश कुमार के बचाव में सुशील मोदी उतर आए थे. उन्होंने बयान देकर बिहार सरकार का बचाव किया. ये बात संजय जायसवाल को चुभ गई. उसके बाद से बिहार में सुशील मोदी गुट को वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष ने तरजीह देना बंद कर दिया था.