2008 में रिटायर करने के बाद 16 साल से कई मास्टर और हेडमास्टर बना रहे हाजिरी…शिक्षा विभाग ने पकड़ा बड़ा खेल…
2008 में रिटायर करने के बाद 16 साल से कई मास्टर और हेडमास्टर बना रहे हाजिरी…शिक्षा विभाग ने पकड़ा बड़ा खेल…
हार सरकार शिक्षा विभाग को दुरुस्त करने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं। इसके बाद में शिक्षा विभाग में बड़ी लापरवाही की खबर आए दिन सुर्खियों में बनी रहती है। कई बार शिक्षकों के हाजिरी में गड़बड़ी की खबर सामने आती है।
ऐसा ही एक मामला एक फिर सामने आया है। जहां शिक्षा विभाग के सामने एक बड़े घोटाले की पोल खुली है। वहीं इस मामले के सामने आने से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया।
दरअसल, बिहार के शिक्षा विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। विभाग द्वारा वर्ष 2008 में सेवामुक्त किए गए एक शिक्षक की हाजिरी 16 सालों तक लगातार बनाई जाती रही। यह मामला तब सामने आया जब वेतन को लेकर मामला अदालत पहुंचा। बताया जा रहा है कि यह घोटाला प्रोजेक्ट स्कूलों में हेडमास्टर और बीईओ की मिलीभगत से संभव हो पाया। सेवामुक्त शिक्षक की हाजिरी एक अलग रजिस्टर में बनाई जाती थी और विभाग को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
शिक्षा विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने डीईओ से जवाब मांगा है कि कैसे एक सेवामुक्त शिक्षक इतने सालों तक स्कूल में काम करता रहा। हेडमास्टर से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है और संबंधित शिक्षक की उपस्थिति पंजी भी मंगाई गई है। डीईओ ने इस मामले में तत्कालीन और वर्तमान दोनों हेडमास्टर से जवाब मांगा है।
बताया जा रहा है कि साल 2008 में अलग-अलग स्कूलों के दो दर्जन से अधिक शिक्षकों को सेवा मान्यता नहीं मिली थी। एक स्कूल में मामला सामने आने के बाद अन्य स्कूलों में भी इसकी जांच कराई गई। जिसके बाद इस बड़े घोटाले की पोल खुल गई। वहीं अब विभाग ने इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। मामले के सामने आने के बाद कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि अगर शिक्षक सेवा में नहीं था तो उसकी हाजिरी कैसे बनाई जाती रही? हेडमास्टर ने बिना विभाग से मार्गदर्शन लिए उस उपस्थिति पंजी को कैसे सत्यापित किया?