बिहार के शिक्षा विभाग के दो चेहरे , पैसा बचाने के लिए लगभग 20 अनियमित विद्यार्थियों के सरकारी स्कूलों से काटे नाम , शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह पर उड़ा दिए करोड़ो रुपये - News TV Bihar

बिहार के शिक्षा विभाग के दो चेहरे , पैसा बचाने के लिए लगभग 20 अनियमित विद्यार्थियों के सरकारी स्कूलों से काटे नाम , शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह पर उड़ा दिए करोड़ो रुपये

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बिहार के शिक्षा विभाग के दो चेहरे , पैसा बचाने के लिए लगभग 20 अनियमित विद्यार्थियों के सरकारी स्कूलों से काटे नाम , शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह पर उड़ा दिए करोड़ो रुपये

बिहार सरकार का दोहरा चरित्र अब सामने आने लगा है पिछले कई दिनों से बिहार सरकार की शिक्षा विभाग पैसों को बचाने के लिए विद्यालय से बाहर रहने वाले छात्रों के सरकारी स्कूलों से नाम काटने का अभियान चला रही थी जिसमें लगभग 20 लाख से ऊपर स्कूली छात्रों का नाम काट दिया गया जो नियमित रूप से विद्यालय नहीं आ पा रहे थे इससे शिक्षा विभाग ने करोड़ों रुपए की बचत की वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग ने अध्यापक नियुक्ति वितरण कार्यक्रम आयोजित कर करोड़ों रूपों को पानी की तरह बहा दिया जिसकी कोई जरूरत नहीं थी

कई शिक्षाविदों का कहना है कि यह नियुक्ति वितरण कार्यक्रम किसी भी मायने में उचित नहीं थी इसे सिर्फ पैसे की बर्बादी हुई और इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला नियुक्ति पत्र तो सरकार अपने जिला स्थित शिक्षा विभाग के कार्यालय द्वारा या प्रखंड स्तरीय कार्य कार्यालय द्वारा भी वितरण कर सकती थी जबकि इस नियुक्ति पत्र में ना तो किसी को विद्यालय आवंटित किया गया है और ना ही किसी शिक्षक को की विद्यालय में जॉइनिंग कराई जा रही है यह नियुक्ति पत्र मात्र औपबंधिक है इसमें मात्र नवनियुक्त अध्यापकों को उनका जिला आवंटित किया गया है इसलिए नियुक्ति पत्र वितरण समारोह का किसी वितरण से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला

बिहार की राजधानी पटना का गांधी मैदान फिर से एक बार ऐतिहासिक कार्यक्रम का गवाह बनने जा रहा है. 2 नवंबर यानी आज यहां अब तक का सबसे बड़ा नियुक्ति पत्र वितरण समारोह आयोजित होने जा रहा है.

इसके लेकर गांधी मैदान में तैयारियां पूरी कर ली गई है. 25000 शिक्षकों को सीएम नीतीश कुमार नियुक्ति पत्र सौंपेंगे. 2 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में 3:00 बजे सीएम नीतीश कुमार 25 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देंगे. एक तरफ बिहार के 22 लाख बच्चों का नाम स्कूल से इसलिए काट दिया गया कि पैसे का दुरुपयोग हो रहा था. शिक्षा विभाग ने निर्णय किया था कि जो बच्चे तीन दिन से अधिक स्कूल से गायब रहे उनका नाम काट दिया जाए, इसपर बिहार के 22 लाख बच्चों का नाम काट दिया गया. शिक्षा विभाग का तर्क था कि बच्चे स्कूल नहीं आते हैं और वे सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठाते हैं.

वहीं बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों को औपबंधिक नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के लिए शिक्षा विभाग ने जिलों को तीन करोड़ 41 लाख की राशि जारी की है. इनमें एक करोड़ 85 हजार बस किराया के लिए है.बसों से पटना के गांधी मैदान में शिक्षकों को लाया गया है. दो करोड़ 41 अन्य कार्यालय मद के लिए भेजे गए हैं. इस संबंध में शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि पटना के गांधी मैदान और अन्य जिला मुख्यालय में आयोजित नियुक्तिपत्र वितरण कार्यक्रम के लिए यह राशि भेजी गई है. पटना जिला को एक करोड़ 57 लाख रुपये भेजा गया है.

विडंबना है कि नियुक्ति पत्र के लिए करोड़ों खर्च कर रही हैं वहीं स्कूल के बच्चों का नाम इसलिए काटा जा रहा है कि इससे सरकारी पैसे का बचत होगा. वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में बिहार सरकार शिक्षा विभाग ने 40450 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है. 2022-23 में यह राशि 39,191 करोड़ थी. आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य सरकार हर साल डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए 3000 करोड़ की राशि छात्र-छात्राओं को देती है. अगर दस प्रतिशत बच्चों का भी नामांकन रद्द होता है तो सरकार को करीब 300 करोड़ रुपये की बचत होगी. पोशाक योजना के तहत राज्य सरकार कक्षा चार तक के विद्यार्थियों को 700, कक्षा पांच से आठ तक के बच्चों को 800 तथा कक्षा नौ से 12 तक के छात्र-छात्राओं को 1500 रुपये देती है. इसके अलावा मिड-डे मील के तहत राज्य सरकार क्लास एक से पांचवी तक प्रति छात्र 5.45 रुपये तथा कक्षा छह से आठ तक प्रति छात्र 8.17 रुपये प्रतिदिन खर्च करती है. मिड-डे मील से जुड़े विश्लेषकों के अनुसार राज्यभर में इस मद में औसतन आठ से दस करोड़ की राशि प्रतिदिन खर्च होती है. वहीं विद्यार्थियों के नाम काटे जाने पर प्रारंभिक प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. शेखर गुप्ता ने कहा, ”एक ओर शिक्षा के अधिकार नियम के तहत छह से 14 वर्ष के बच्चों

अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा की बात हो रही है, वहीं दूसरी तरफ स्कूल के स्तर पर मासिक परीक्षा नहीं देने, तीन दिनों से अधिक की अनुपस्थिति पर नाम काटे जा रहे हैं. यह तो परस्पर विरोधाभासी है.”

2 नवंबर के दिन बीपीएससी शिक्षक बहाली परीक्षा में सफल हुए 1.20 लाख विद्यालय अध्यापकों को नियुक्ति पत्र वितरित किया जाएगा. इनमें से प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हुए 25000 शिक्षक गांधी मैदान में मौजूद रहेंगे. इन्हें नियुक्ति पत्र मिलेगा और इनमें से 500 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके साथ मौजूद अन्य मंत्री गण मुख्य मंच से नियुक्ति पत्र देंगे. यह कार्यक्रम काफी भव्य होने जा रहा है. वहीं दसवी और बारहवीं के बच्चे परीक्षा से वंचित रह जाएगे.

विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने विशेष रूप से पटना डीएम को यह निर्देश दिया है कि गांधी मैदान में होने वाले नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों से सभी विद्यालयों से काफी संख्या में बसों में बैठकर शिक्षक आएंगे. ऐसे में शिक्षकों की सभी बसें एक काफिले के रूप में चलें और उस काफिले में किसी तरह की रास्ते में समस्या ना हो इसलिए एक पुलिस एस्कॉर्ट भी काफिले के

साथ रखा जाए. एस्कॉर्ट में दंडाधिकारी भी मौजूद रहेंगे. भारी संख्या में सफल शिक्षक दूर-दूर से आएंगे इसलिए काफिले में एंबुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए और काफिले की सभी बसों पर बैनर टंगे होने चाहिए, जिसका प्रारूप शिक्षा पदाधिकारी को पहले दिया जा चुका है. गांधी मैदान के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शिक्षा विभाग का पटना जिला प्रशासन को निर्देश है कि हर जिले से आए विद्यालय अध्यापकों के बैठने के लिए अलग व्यवस्था की जाए. शिक्षा विभाग ने जिला प्रशासन से कहा है कि सभी जिलों से निकले शिक्षकों का काफिला 12:00 तक पटना शहर के बाहरी सीमा तक पहुंच जाए और उसके बाद पटना ट्रैफिक एसपी से संपर्क करें. इसके बाद पटना शहर के बाहरी सीमा से गांधी मैदान तक शिक्षकों के बसों के काफिले को लाने की जिम्मेदारी पटना जिला पुलिस की है.

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