सक्षमता पास इतने हजार शिक्षकों नहीं मिला राज्यकर्मी का दर्जा, आखिर क्यों हुआ ऐसा, कहां फंस गया पेंच - News TV Bihar

सक्षमता पास इतने हजार शिक्षकों नहीं मिला राज्यकर्मी का दर्जा, आखिर क्यों हुआ ऐसा, कहां फंस गया पेंच

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सक्षमता पास इतने हजार शिक्षकों नहीं मिला राज्यकर्मी का दर्जा, आखिर क्यों हुआ ऐसा, कहां फंस गया पेंच

 

बिहार में शिक्षा विभाग के द्वारा एक ओर जहां शिक्षक की बहाली की जा रही है। वहीं वरिष्ठ शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जा रहा है। जिसके लिए विभाग के द्वारा सक्षमता परीक्षा लिया जा रहा है।

वहीं इसी बीच सक्षमता परीक्षा से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। मिली जानकारी अनुसार सक्षमता परीक्षा पास होने के बावजूद राज्य में 8 हजार ऐसे शिक्षक है, जिनको राज्यकर्मी का दर्जा नहीं मिला है। ये शिक्षक पटना, भोजपुर, अरवल, सारण, मधेपुरा, सुपौल, बेगूसराय सहित 22 जिलों में कार्यरत है। इनका आधार, नाम, जन्मतिथि, पिता का नाम, मोबाइल नंबर जिला स्तर पर विभागीय लापरवाही के कारण अपडेट नहीं हुआ है।

दरअसल, बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने के लिए आयोजित सक्षमता परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। परीक्षा के दौरान शिक्षकों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों में कई तरह की गलतियां पाई गई हैं। इनमें नाम, जन्मतिथि, आधार कार्ड नंबर आदि में गलत स्पेलिंग या आंकड़े दर्ज होने जैसी गड़बड़ियां शामिल हैं। इस गड़बड़ी के कारण हजारों शिक्षकों की नियुक्ति अटक गई है। इस मामले में 22 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को नोटिस जारी किया गया है और उन्हें शिक्षकों के दस्तावेजों में सुधार करने का निर्देश दिया गया है। यदि निर्धारित समय में सुधार नहीं किया जाता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बताया जा रहा है कि शिक्षकों का रिकॉर्ड अपडेट करने का ज्यादातर मामला जिला प्रोग्राम अफसर (डीपीओ) और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के स्तर पर फंसा हुआ है। चार हजार शिक्षकों का डीपीओ और दो हजार का डीईओ के यहां रुका है। सबसे अधिक गड़बड़ी रोहतास, औरंगाबाद, वैशाली, कटिहार, बंका, खगड़िया, दरभंगा, नालंदा, समस्तीपुर, शिवहर, पूर्वी चंपारण जिले में हुई है। इन जिलों में विभाग की ओर से सौंपी गई सूची में से 80 से 99 प्रतिशत शिक्षकों का सर्विस रिकॉर्ड अपडेट नहीं किया गया। इसीलिए नियुक्ति अटकी हुई है।

करीब 1.14 लाख शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिल चुका है, लेकिन 73 हजार शिक्षकों की काउंसलिंग विभिन्न कारणों से अटक गई है। इनमें से कई शिक्षकों के दस्तावेजों में गड़बड़ियां होने के कारण उनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसके अलावा, 5 हजार से अधिक शिक्षक फर्जी पाए गए हैं और 10 हजार शिक्षकों को आचार संहिता लागू होने के कारण नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है। जानकारी अनुसार गलतियों को अपडेट करने के लिए 29 अक्टूबर को ही जिलों को निर्देश दिया गया था। लेकिन मात्र 2 हजार शिक्षकों का मोबाइल नंबर, नाम, आधार संख्या ही अपडेट हुआ है। शेष आठ हजार शिक्षकों का मामला अटका हुआ है

नियोजित शिक्षक को राज्यकर्मी बनने के लिए सक्षमता परीक्षा पास करना जरूरी है। ऐसे में समक्षता परीक्षा के दौरान शिक्षकों ने सभी प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर सहित अन्य कागज जिला स्तर पर शिक्षा विभाग को दिए थे। इसका रिकार्ड कंप्यूटर में दर्ज करना था। इसी स्टेज पर कई शिक्षकों के नाम, जन्मतिथि, आधार कार्ड की संख्या, पिता का नाम, स्पेलिंग, आयु आदि गलत अंकित हो गया। काउंसिलिंग के दौरान जब रिकॉर्ड का मिलान शुरू हुआ तो गड़बड़ी पकड़ में आई। नतीजा हुआ कि जिन शिक्षकों के जमा किए गए प्रमाण पत्र और वास्तविक प्रमाण-पत्र में मिलान नहीं हुआ, उनकी काउंसिलिंग नहीं हो सकी।

बिहार सरकार ने उन शिक्षकों को भी ट्रांसफर के लिए आवेदन करने का मौका दिया है, जिनके दस्तावेजों में गलतियां हैं। हालांकि, ट्रांसफर के लिए कुछ विशेष कारणों का होना जरूरी है जैसे कि पति-पत्नी का दिव्यांग होना, मानसिक रोगी होना या गंभीर बीमारी होना। बता दें कि राज्य में लगभग 4 लाख नियोजित शिक्षक हैं। इसमें 2 लाख से अधिक शिक्षकों ने दो चरण में सक्षमता परीक्षा पास किया है। ऐसे में नियोजित शिक्षकों को 3 मौका और दिया जाएगा। जिसके आधार पर वह सक्षमता परीक्षा पास कर सकेंगे। गौरतलब हो कि, सक्षमता परीक्षा पास 1.87 लाख शिक्षक नियुक्ति पत्र मिलने के बाद ही राज्यकर्मी बनेंगे। 1.14 लाख शिक्षकों को 20 नवंबर को ही नियुक्ति पत्र मिल गया और राज्यकर्मी बन गए।

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