882 स्कूलों मे 17069 शौचालय, अधिकारी हैरान,, हेडमास्टर व अधिकारीयों के बीच मची ह्ड़कंप, इन पर शिक्षा विभाग कर सकती है बड़ी करवाई  - News TV Bihar

882 स्कूलों मे 17069 शौचालय, अधिकारी हैरान,, हेडमास्टर व अधिकारीयों के बीच मची ह्ड़कंप, इन पर शिक्षा विभाग कर सकती है बड़ी करवाई 

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882 स्कूलों मे 17069 शौचालय, अधिकारी हैरान,, हेडमास्टर व अधिकारीयों के बीच मची ह्ड़कंप, इन पर शिक्षा विभाग कर सकती है बड़ी करवाई 

 

 

बिहार में शिक्षा विभाग के अधिकारी उसवक्त हक्के-बक्के रह गए जब वे पिछले दिनों यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफार्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन की एक समीक्षा रिपोर्ट को देख रहे थे। दरअसल, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उस सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि प्रदेश के 882 स्कूलों में 17 हजार 69 से कार्यशील शौचालय हैं।

अर्थात प्रति स्कूल में औसतन 20 कार्यशील शौचालय है। विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर भी सशंकित हैं कि कहीं सरकारी स्कूल के शिक्षकों के द्वारा अल्प ज्ञान के कारण ये फार्म गलत न भरा गया हो। लेकिन कुछ विद्यालयों के रिपोर्ट तो चौकानें वाले है। जैसे कि औरंगाबाद के तारा मिडिल स्कूल में 90, तो भोजपुर के सिकरियां हाईस्कूल में 64 शौचालय होने की विवरणी दी गई है। इसी तरह, गया के अचुकी मिडिल स्कूल में नामांकित छात्रों की संख्या महज 245 है।

जबकि, यहां 138 शौचालय बताए गए हैं। इनमें से 116 कार्यशील हैं। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि गवर्नमेंट संस्कृत स्कूल में एक भी छात्र नामांकित नहीं है और यहां 12 शौचालय कार्यशील हैं। आश्चर्य की बात यह कि औरंगाबाद जिले के अंछा प्राइमरी स्कूल में महज 65 छात्राएं नामांकित हैं और क्रियाशील शौचालयों की संख्या 98 है।

जबकि गया के पहाड़पुर प्राइमरी स्कूल में महज 99 छात्राएं हैं, लेकिन वहां 55 शौचालय ऐसे हैं, जिनका उपयोग बखूबी किया जाता है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) को पत्र भेजकर इस मामले की जांच करने का आदेश दिया है। इस तरह से यू-डायस 2023-24 की समीक्षा के दौरान ये चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं।

इन सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या की तुलना में क्रियाशील शौचालयों के आंकड़े में काफी भिन्नता पाई गई है। सभी विद्यालयों में 10 से अधिक शौचालय कार्यशील हैं। राज्य के एकमात्र अरवल जिला को छोड़ शेष 37 जिलों में यह भिन्नता पाई गई है।

जबकि, लखीसराय व शिवहर जिलों में बालिका विद्यालयों में भिन्नता नहीं मिली है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के प्रशासी अधिकारी शाहजहां ने कहा कि यू-डायस के कॉलम को भरने के काम को शिक्षक गंभीरता से नहीं लेते हैं।

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