शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने शिक्षकों, छात्रों व अभिभावको के लिए जारी किया मार्गदर्शका, इसी के हिसाब से चेलगा राजयभर के सभी सरकारी स्कुल
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने शिक्षकों, छात्रों व अभिभावको के लिए जारी किया मार्गदर्शका, इसी के हिसाब से चेलगा राजयभर के सभी सरकारी स्कुल
बिहार के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षण प्रबंधन व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने ‘शिक्षक मार्गदर्शिका’ जारी की है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने गुरुवार को इसे लेकर पांच श्रेणियों में शिक्षक मार्गदर्शिका जारी की है.
राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को जारी निर्देश में छात्र प्रबंधन, विद्यालय प्रबंधन, कक्षा प्रबंधन, छात्र प्रबंधन और अभिभावक प्रबंधन शामिल है. एस सिद्धार्थ ने शिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा है कि विद्यालयों में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है जिसमें शिक्षक ही बच्चों के समग्र विकास को सकारात्मक दिशा प्रदान करता है। विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि के साथ-साथ उनके सामाजिक एवं भावनात्मक व्यवहार का परिमार्जन कर उन्हें भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनाना उनका दायित्व है। “एक आदर्श शिक्षक मोमबत्ती की तरह होता है वह स्वयं जलकर दूसरों की राह प्रकाशित करता है।”
इसके तहत निम्न बिंदुओं पर शिक्षकों को काम करना होगा.
शिक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी विद्यार्थी निर्धारित विद्यालय की पोशाक (School Uniform) एवं अपने बस्ते में विद्यालय की समय-सारणी के अनुसार सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकें, नोटबुक, पेन्सिल बॉक्स, पीने के पानी की बोतल लेकर विद्यालय आएँ। यह भी अपेक्षित है कि विद्यार्थी अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे नियमित स्नान, कटे / संवरे हुए बाल एवं कटे हुए नाखून पर ध्यान देते हुए विद्यालय आना सुनिश्चित करेंगे। अभिभावक भी अपने प्रतिपाल्य (ward) को विद्यालय भेजने से पहले उपरोक्त सभी बिन्दुओं का सत्यापन करना चाहेंगे।
1. कक्षा प्रारंभ के समय से 10 मिनट पहले विद्यालय में उपस्थित रहना।
2. विद्यालय परिसर के अन्दर e-Shikshakosh app के द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज करना।
3. विद्यालय प्रधानाचार्य / प्राचार्य के साथ बैठक कर उस दिन की शिक्षण योजना पर विमर्श करना।
4. विद्यालय की प्रातः कालीन सभा ‘चेतना सत्र’ में अपनीस हभागिता सुनिश्चित करना एवं छात्र अनुशासन व्यवस्थित रखना।
5. प्रतिदिन ‘चेतना सत्र’ में नैतिक मूल्यों पर चर्चा करना एवं विशेष अवसरों (जैसे 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस, 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस आदि) पर उक्त दिवस की विशेषता / महत्ता की चर्चा करना।
6. सभी शिक्षक अनिवार्य रूप से शिक्षक शिक्षा संस्थानों (TEIS) में छः दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण पूरा करना सुनिश्चित करेंगे। किसी भी विद्यालय में अप्रशिक्षित शिक्षक के पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
7. विद्यालय में उपस्थित सभी विद्यार्थियों को निर्धारित सूची (Menu) के अनुसार स्वस्थ मध्याहन भोजन (Mid-day Meal) उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। किसी विद्यार्थी के कुपोषित पाए जाने पर उसकी पहचान कर वर्ग शिक्षक/शिक्षिका द्वारा उसके पोषण एवं स्वास्थ्य को विशेष प्राथमिकता दी जाए। चिन्हित विद्यार्थी के अल्पाहार एवं भोजन के साथ उनके पोषण का ब्यौरा अभिभावक के साथ रखा जाए।
8. विद्यार्थियों का कल्याण एवं उनकी सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। सभी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए सरक्षित विद्यालय वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
9. यदि विद्यालय में कोई पदाधिकारी अथवा सहयोगी शिक्षक (Support Teacher)/ परामर्शदाता (Mentor) विद्यालय निरीक्षण पर आएँ तो शिक्षक अपनी पाठ योजना, कक्षा प्रबंधन, पाठ्यचर्या/पाठ्यक्रम, साप्ताहिक एवं मासिक आकलन तथा पृष्ठपोषण एवं शिक्षक अभिभावक बैठक (PTM) की समीक्षा करवाना सुनिश्चित करें। शिक्षक अपने पक्ष को उपयुक्त प्रमाण के साथ रखना सुनिश्चित करेंगे।
10. शैक्षणिक मार्गदर्शन / सहायता हेतु अपने सहयोगी शिक्षक (Support Teacher)/BRC/DIET के परामर्शदाता (Mentor) से परामर्श लेना सुनिश्चित करें।
1. श्यामपट (Blackboard) पर दिनांक, दिन, विषय, उपस्थित/अनुपस्थित छात्रों की संख्या अंकित करें (अथवा वर्ग-मॉनिटर द्वारा करवाएँ)।
2. पहली कालावधि (Period) प्रारंभ होने से पहले वर्ग कक्ष की सफाई (प्रतिनियुक्त कर्मी के माध्यम से) सुनिश्चित करें।
3. विद्यार्थियों की उपस्थिति e-shikshakosh App एवं निर्धारित उपस्थिति पंजी में दर्ज करना सुनिश्चित करें स यह कार्य कक्षा प्रारम्भ होने के पाँच (5) मिनट के अन्दर पूरा कर लें।
4. कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने पर अपने प्रधानाध्यापक / प्राचार्य से विमर्श कर उन्हें अनुवार्गों (Sections) में विभाजित कर दें।
5. विषयवार शिक्षकों की कमी होने पर ‘बहुस्तरीय कक्षा’ (Multi-grade classroom) का संचालन किया जा सकता है जिसमें छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को पहली पंक्ति में बैठाते हुए वरीयता क्रम से बड़ी कक्षा के विद्यार्थियों को पीछे की तरफ बैठाया जाए।
6. ‘बहुस्तरीय कक्षा’ की स्थिति में कक्षा प्रारम्भ के दस (10) मिनट के अन्दर सभी कक्षा के विद्याथियों को शैक्षणिक गतिविधि/कार्य निर्दिष्ट कर दिया जाए। छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को अधिक समय देते हुए उनकी मूलभूत साक्षरता एवं गणनात्मक कौशल (FLN) के विकास पर विशेष बल दिया जाए।
7. शिक्षक द्वारा सभी विद्यार्थियों को नियमित रूप से विद्यालय की पाठ्यपुस्तक एवं वर्ग-कार्य तथा गृह-कार्य हेतु लेखन पुस्तिका लाने सम्बन्धी स्पष्ट निर्देश दिए जाएँ।
8. विविध विषयों के लिए एक ही लेखन पुस्तिका का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
9. पाठ योजना का दृढ़ता से पालन करें। शिक्षक पाठ्यचर्या एवं पाठ्यक्रम का अनुपालन करना सुनिश्चित करें।
10. अभ्यास पुस्तक एवं लेखन पुस्तिका का अद्यतन करवाया जाना सुनिश्चित करें। साथ ही इनकी नियमित जांच कर सम्बन्धित विद्यार्थी एवं अभिभावक को ससमय पृष्ठपोषण देना सुनिश्चित करें।
11. पाठ को जहाँ तक संभव हो सहायक शिक्षण सामग्री की सहायता से पढाया जाना चाहिए एवं प्राथमिक स्तर के सभी विद्यार्थियों को विविध सहायक शिक्षण सामग्री के प्रयोग का अवसर प्राप्त होना चाहिए।
12. ‘शिक्षक मार्गदर्शिका’ (कक्षा 1, 2-3) का उचित रूप से अध्ययन करें एवं दिए गए निर्देशों का पालन करें।
13. प्रत्येक सप्ताह में विद्यार्थियों का साप्ताहिक परीक्षण विकसित किये गए ‘प्रश्न संग्रह’ (Question Bank) के प्रश्नों की सहायता से अथवा स्वयं के स्तर से विकसित प्रश्नों द्वारा करना सुनिश्चित करें एवं प्राप्त परीक्षा परिणामों को विद्यार्थी की डायरी के माध्यम से अभिभावकों तक प्रेषित करना सुनिश्चित करें।
14. विद्यार्थी की डायरी का नियमित रूप से अद्यतन करें एवं कक्षा में विद्यार्थियों के कार्यों तथा विकास से सम्बंधित सूचना अभिभावकों को देते रहें।
15. यह सुनिश्चित करें कि कक्षा में पाठ्यपुस्तकों के पठन (Textbook Reading) पर विशेष बल दिया जाए। श्रवण, पठन एवं लेखन कौशल का अभ्यास विद्यार्थियों के भाषा एवं सम्प्रेषण कौशल के विकास में सहायक होगा।
16.अपने विद्यार्थियों में अंग्रजी भाषा में मूलभूत सम्प्रेषण कौशल के विकास का प्रयास करें।
17. विद्यालय में यथासंभव उपलब्ध तकनीक द्वारा अपने शिक्षण को DIKSHA, PMeVidya चैनल, उन्नयन बिहार कार्यक्रम आदि पर निःशुल्क रूप से उपलब्ध विषयवस्तु के माध्यम से संवर्धित करने का प्रयास करें।
18. नियमित रूप से 3 माह के निश्चित अंतराल पर विद्यार्थियों के प्रगति पत्रक को भरकर अभिभावकों को संप्रेषित (बात-चीत) करें।
19. विद्यार्थियों को नियमित रूप से गृहकार्य दें और यह सुनिश्चित करें कि वे अपना गृहकार्य ससमय पूरा करें।
20. विद्यार्थियों को छमाही (Half-yearly) एवं वार्षिक (Annual) परीक्षाओं के लिए तैयार करें जिसमें नियमित रूप से ली जाने वाली साप्ताहिक परीक्षा एवं मासिक परीक्षा भी शामिल है।
21. प्रतिदिन घर के लिए विद्यालय छोड़ने से पूर्व विद्यालय में ही अगले दिन की पाठ योजना बनाएं।
1. प्रतिदिन ‘चेतना सत्र’ के संचालन में विद्यार्थियों की सहभागिता होनी चाहिए।
2. नियमित रूप से विद्यालय के ‘Head Girl’ एवं ‘Head Boy’ का चयन कर सभी विद्यार्थियों को क्रमशः बारी-बारी से अवसर देते हुए किया जाना चाहिए (विद्यालय कि सबसे बड़ी कक्षा के विद्यार्थियों में से प्रति सप्ताह किसी एक विद्यार्थी का चयन)। साथ ही ‘Head Girl’ एवं ‘Head Boy’ का ठंकहम (badge) उपलब्ध कराएं।
3. सभी विद्यार्थियों को चार समूहों (House) में बांटें एवं समूह का नाम अपनी स्वेच्छा से देते हुए (जैसे बिहार की नदियों के नाम रखें) उन्हें सकरात्मक रूप से विविध प्रतियोगिताओं में शामिल करें (खेलकूद एवं एनी सह-शैक्षणिक प्रतियोगिताएं आदि)। पूरे वर्ष चलने वाली इन प्रतियोगिताओं में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले समूह को विद्यालय वार्षिकोत्सव में पुरस्कृत करें।
4. यह सुनिश्चित करें कि कक्षा में सभी विद्यार्थी अपने निर्धारित स्थान पर बैठें।
5. यह सुनिश्चित करें कि सभी विद्यार्थी विद्यालय में निर्धारित पोशाक (School Uniform) में अपने बस्ते (School Bag) के साथ अच्छी तरह तैयार होकर जैसे कटे हुए नाखून, कटे/संवरे हुए बाल आदि के साथ आएँ। विद्यार्थियों को सकरात्मक व्यवहार के लिए प्रेरित करने हेतु सकारात्मक / नकारात्मक पुनर्बलन प्रविधियों का प्रयोग करें।
6. यह सुनिश्चित करें कि अपेक्षाकृत रूप से कमजोर विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी के साथ अनिवार्य रूप से पहली पंक्ति में बैठें एवं बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी को उक्त सहपाठी के कक्षा कार्य, अभ्यास-पत्रक एवं अधूरे गृहकार्य को पूरा करने में सहयोग प्रदान करने का निर्देश दें।
7. यह महत्वपूर्ण है कि विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ-साथ उनके सामाजिक एवं भावनात्मक कौशल के विकास पर भी ध्यान दिया जाए।
8. वैसे विद्यार्थियों की पहचान करें जो कक्षा में अपने सहपाठियों एवं शिक्षकों के साथ स्वतंत्र भाव से आत्मविश्वास के साथ बात-चीत नहीं करते हैं।
9. ऐसे विद्यार्थियों की पहचान कर उनकी अभिरूचि एवं शौक को जानें एवं उन्हें वैसी गतिविधियों में संलग्न करें जिनमें वे सहज अनुभव कर सकें। सभी विद्यार्थियों के सामने चेतना सत्र में ऐसे विद्यार्थियों की एवं उनके छोटे-छोटे प्रयासों की प्रशंसा करें जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ सके।
10. याद रखें, विद्यालय एक लघु समाज है। यदि विद्यार्थी विद्यालय में आत्मविश्वास से भरा रहेगा तभी वह समाज में रूप में अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ एक व्यस्क नागरिक बन सकेगा।
11. अनुशासन वह सबसे महत्वपूर्ण पाठ है जो आपको विद्यार्थियों को देना है। एक अच्छा विद्यार्थी ही अच्छे एवं कुशल नागरिक बनते हैं।
12. विद्यार्थियों के अनुशासन के लिए आवश्यक है कि शिक्षक एक आदर्श हों एवं वैसे परामर्शदाता हों जिनके प्रति वे विद्यालय में आश्वस्त रह सकें।
13. किसी भी परिस्थिति में शारीरिक दंड का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए क्यूँकि यह बच्चे के आगामी जीवन में उनके व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
14. अवांछित व्यवहार करने वाले विद्यार्थियों को मौखिक / शाब्दिक प्रशंसा, व्यवहार समायोजन तालिका, कक्षागत अपेक्षित व्यवहार सम्बन्धी सूचक तालिका, टोकन/प्रतीकात्मक चेतावनी आदि व्यवस्था द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
15. यह सुनिश्चित करें कि कोई भी विद्यार्थी अपनी कक्षा-स्तर के अनुरूप अधिगम प्रतिफल (Learning Outcomes) को प्राप्त किये बिना अगली कक्षा के लिए प्रोन्नत ना हो
जाए।
16. शैक्षणिक स्तर पर अपेक्षाकृत कमजोर विद्यार्थियों के लिए ‘दक्ष’ कक्षाओं का संचालन करें जिससे वे विषयगत पाठ, कक्षा-कार्य एवं गृहकार्य को पूरा कर सकें। यह सुनिश्चित करें कि विद्यार्थियों में रटने की प्रवृत्ति ना हो बल्कि विद्यार्थी विषयगत अवधारणाओं की समझ बना सकें।
1. कोई विद्यार्थी यदि तीन (3) दिन से अधिक अनुपस्थित पाया जाए तो उसके अभिभावक से दूरभाष (Phone) आदि के माध्यम से पृच्छा की जाए। यदि इसके सकारात्मक परिणाम ना मिलें तो विद्यार्थी के घर पर जाकर स्थिति की समीक्षा की जाए।
2. अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजने के पक्ष में अभिभावकों द्वारा दिए जाने वाले कारण जैसे रोजगार की व्यस्तता, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ, अज्ञानता आदि को स्वीकार ना करें। उन्हें समझाने का प्रयास करें कि उनके बच्चों के जीवन में विद्यालयी शिक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
3. यदि बच्चों को विद्यालय भेजने में विद्यालय की निम्न स्तरीय व्यवस्था आदि के प्रति अभिभावक सशंकित हों तो उन्हें आश्वस्त करें कि एक अच्छा शिक्षक ही किसी विद्यालय के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन होता है एवं बिहार राज्य सरकार द्वारा विद्यालयों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।
4. अभिभावकों के साथ नियमित रूप से अभिभावक-शिक्षक बैठक (PTM) करें एवं उनके प्रतिपाल्य (Ward) की शैक्षणिक सामाजिक-भावनात्मक व्यवहार की चर्चा करें। तथा सह-शैक्षणिक गतिविधियों एवं
5. यदि विद्यार्थी विद्यालय में अपनी निर्धारित पोशाक (School Uniform), बस्ता (School Bag), पाठ्यपुस्तक (Textbook), नोटबुक आदि के साथ अच्छी तरह तैयार होकर नहीं आते हैं तो अविलम्ब रूप से इसकी सूचना अभिभावकों को विद्यालय की डायरी द्वारा देना सुनिश्चित करें। साथ ही बच्चों की स्वच्छ आदतों एवं अनुशासन से सम्बन्धित जानकारी अभिभावक-शिक्षक बैठक (PTM) में एवं दूरभाष (Phone) पर देना सुनिश्चित करें।