इस शिक्षक ने के के पाठक को भी दिया चकमा , 9 लाख रुपए का फर्जी बिल ले कर ये शिक्षक पहुंचा बैंक , बैंक मैनेजर ने विभाग को मिलाया फोन तो मच गई हड़कंप - News TV Bihar

इस शिक्षक ने के के पाठक को भी दिया चकमा , 9 लाख रुपए का फर्जी बिल ले कर ये शिक्षक पहुंचा बैंक , बैंक मैनेजर ने विभाग को मिलाया फोन तो मच गई हड़कंप

0

इस शिक्षक ने के के पाठक को भी दिया चकमा , 9 लाख रुपए का फर्जी बिल ले कर ये शिक्षक पहुंचा बैंक , बैंक मैनेजर ने विभाग को मिलाया फोन तो मच गई हड़कंप

 

मंगलवार को जिले के शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) में एक फर्जी बिल का मामला सामने आया है। वह तो गनीमत है कि बैंक ने यह गड़बड़ी पकड़ ली, अन्यथा नौ लाख रुपये का फर्जी भुगतान भी हो गया रहता।

बहरहाल इसको लेकर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना विष्णुकांत राय ने बताया कि इस मामले में संबंधित शिक्षक पर प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि बैंक से सीसीटीवी फुटेज भी मंगाया गया है। मामला राजपुर के जलहरा मध्य विद्यालय के ब्रजेश कुमार ओझा नामक नियोजित प्रखंड शिक्षक के एरियर भुगतान से संबंधित है।

डीपीओ के दस्तखत पर शक हुआ

बताया जाता है कि उक्त शिक्षक के नाम पर एरियर का बिल जब स्टेट बैंक में भुगतान के लिए पहुंचा, तो बैंक के मैनेजर को बिल पर दर्ज डीपीओ के दस्तखत पर शक हुआ और उन्होंने डीपीओ स्थापना को फोन किया। डीपीओ स्थापना ने बताया कि मैनेजर के फोन करने पर उन्होंने ह्वाटसअप पर बिल की फोटो मंगाई तो, वह फर्जी निकला।

Bihar News बताया जाता है कि उस पर दर्ज पत्रांक, इश्यू नंबर और बीईओ का हस्ताक्षर सब कुछ फर्जी था। डीपीओ ने बताया कि बैंक मैनेजर को उन्होंने तत्काल बिल का भुगतान रोकने और संबंधित व्यक्ति को रोक कर रखने के लिए कहा, लेकिन तब तक बिल लेकर वहां पहुंचा व्यक्ति वहां से निकल चुका था।

जांच के लिए बैंक से सीसीटीवी फुटेज भी मंगाया गया

उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए उन्होंने बैंक से सीसीटीवी फुटेज भी मंगाया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में संबंधित शिक्षक पर प्राथमिकी कराई जाएगी। समाचार लिखे जाने तक विभाग में उसकी तैयारी चल रही थी।

बहरहाल, फर्जी बिल भुगतान कराने का यह मामला विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। दूसरी तरफ विभागीय जानकार इसमें विभाग की मिलीभगत की भी आशंका जाहिर कर रहे हैं। हालांकि, यह जांच का विषय है और जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि इसमें विभाग की मिलीभगत है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अन्य खबरे