आंगनबाड़ी केदो व सरकारी स्कूलों का होगा कायाकल्प , ये सभी अत्याधुनिक मिलेगी सुविधाएं

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आंगनबाड़ी केदो व सरकारी स्कूलों का होगा कायाकल्प , ये सभी अत्याधुनिक मिलेगी सुविधाएं

देशभर के आंगनबाड़ी केदो और राज्य सरकारों द्वारा संचालित सरकारी विद्यालयों के जीवाणु आधार करने एवं विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार कानून 2009 का शक्ति से अनुपालन के लिए विभाग ने कमर कस ली है

विभाग का या फैसला सूचना के अधिकार अधिनियम के कार्यकर्ता रजनीश रत्नाकर की लोक शिकायत पर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा व साक्षरता विभाग में 26 अप्रैल को पारित किया है लोक शिकायत का निपटारा अधिकतम 30 दिनों में करने का केंद्र सरकार का निर्देश है लेकिन श्री रत्नाकर को लोक शिकायत की गंभीरता को देखते हुए इसके निदान में 7 मा का वक्त लगा

श्री रत्नाकर की लोक शिकायत थी कि तकरीबन सभी राज्य सरकार है शिक्षा का अधिकार कानून 2009 का उल्लंघन कर रही है ज्यादातर सरकारी स्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात का अनुपालन नहीं हो रहा है स्कूलों के पास मानक के अनुरोध पर्याप्त भूमि और भवन भी उपलब्ध है नहीं है स्कूलों में अस्थाई शिक्षकों की जगह अस्थाई शिक्षकों की बहाली की जा रही है नियमित प्रधान शिक्षकों की व्यवस्था बहुत सारे प्रारंभिक विद्यालयों में नहीं है अधिकांश सरकारी विद्यालयों के पास तो खेल के मैदान भी नहीं है जिसका प्रावधान शिक्षा के अधिकार कानून 2009 में है

लोक शिकायत में कहा गया था कि एनसीटीई देशभर के सभी प्रारंभिक विद्यालयों और प्री नर्सरी विद्यालय के शिक्षकों की शैक्षिक प्रयोग योग्यता तय करने वाली संस्था है जिसने यह तय कर रखा है कि प्री स्कूल शिक्षकों व आंगनबाड़ी शिक्षण गांव को भी 12वीं उतार करने के बाद 2 वर्ष की डीसी की पाठ्यक्रम उत्पन्न होना अनिवार्य है लेकिन इससे आंगनबाड़ी शिक्षिकाएं अभी तक वंचित है

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