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नीतीश सरकार का बड़ा फैसला , इतने वर्ष की सेवा पर शिक्षकों को मिलेगी प्रोन्नति

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नीतीश सरकार का बड़ा फैसला , इतने वर्ष की सेवा पर शिक्षकों को मिलेगी प्रोन्नति

 

राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों के लिए बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) संशोधन नियमावली-2024 प्रभावी हो गयी है।

इसमें किए गए प्रविधान के अनुसार शिक्षकों को प्रोन्नति के लिए आठ वर्षों की सेवा-अवधि अनिवार्य होगी।

शिक्षकों को यह प्रोन्नति उपलब्ध रिक्तियों एवं स्वस्थानिक उत्क्रमण के आधार पर होगी। अधिकार के रूप में प्रोन्नति का दावा नहीं किया जा सकेगा। शिक्षकों के लिए निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक के प्रविधान किए गए हैं। जो मामले आनुशासनिक कार्रवाई के दायरे में होंगे।

शिक्षा विभाग की ओर से बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) संशोधन नियमावली जारी की गयी है।

इसके मुताबिक पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यालय अध्यापकों की प्रोन्नति छठी से आठवीं कक्षा तक के विद्यालय अध्यापक के पद पर, छठी से आठवीं कक्षा तक के विद्यालय अध्यापकों की प्रोन्नति वरीय विद्यालय अध्यापक के पद पर, नौवीं से दसवीं तक के विद्यालय अध्यापकों की प्रोन्नति ग्यारहवीं से बारहवीं के विद्यालय अध्यापक के पद पर एवं ग्यारहवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यालय अध्यापकों की प्रोन्नति वरीय अध्यापक के पद पर होगी।

नियमावली के प्रविधान के मुताबिक सभी प्रोन्नति उपलब्ध रिक्तियों के अधीन होगी एवं विभागीय नीतियों को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। इसके अलावा सभी प्रोन्नति विभाग की निर्धारित नीति के अनुसार की जाएगी और अपेक्षित योग्यता सहित पात्रता के अधीन होगी। अध्यापक अवचार या कदाचार के मामले में अनुशासनिक कार्रवाई के अधीन होंगे, जो नियुक्ति प्राधिकार द्वारा निश्चित किये जाएंगे।

खास तौर पर जो मामले अनुशासनिक कार्रवाई के दायरे में होंगे, उसमें कार्य से अनधिकृत गैरहाजिरी, जानबूझकर अवज्ञा, अनुशासनहीनता, विद्यालय के शैक्षिक वातावरण में योगदान नहीं देना, वित्तीय अनियमितता के मामले, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी का अभाव, किसी भी आपराधिक मामले में शामिल होना, बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली,1976 के प्रविधानों का उल्लंघन तथा अन्य कोई मामले शामिल होंगे। प्रावधान के तहत कोई भी विद्यालय अध्यापक जो 48 घंटे से अधिक समय से न्यायिक, पुलिस या सिविल अभिरक्षा में रहा है, उसे निलंबित समझा जाएगा और अनुशासनिक प्राधिकार ऐसा आदेश जारी करेगा।

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