बिहार में फिर होंगी शनिवार को ‘हाफ-डे’ स्कूल : बच्चों और शिक्षकों के बेहतर भविष्य की वकालत*
*बिहार में फिर होंगी शनिवार को ‘हाफ-डे’ स्कूल : बच्चों और शिक्षकों के बेहतर भविष्य की वकालत*
*पटना* : बिहार के सरकारी स्कूलों में ब्रिटिश काल से चली आ रही शनिवार को ‘हाफ-डे’ (आधे दिन) स्कूल की व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है. यह मांग बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षकों के कल्याण को भी ध्यान में रखकर की जा रही है. जानकारों और अभिभावकों का मानना है कि वर्तमान में पूरे दिन की पढ़ाई से बच्चों पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है, जिससे उनकी रचनात्मकता और खेलकूद जैसी गतिविधियों के लिए समय नहीं मिल पा रहा है.
*क्यों जरूरी है ‘हाफ-डे’ व्यवस्था*?
शनिवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक स्कूल संचालन की पुरानी प्रणाली को कई मायनों में लाभकारी बताया जा रहा है:
* बच्चों के लिए:
* मानसिक और शारीरिक विकास: आधे दिन की पढ़ाई से बच्चों को खेलने, रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने और अपने परिवार के साथ समय बिताने का अधिक अवसर मिलेगा. यह उनके समग्र मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
*तनाव में कमी*:-
पूरे सप्ताह की लंबी कक्षाओं से होने वाले तनाव को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे बच्चे पढ़ाई में अधिक रुचि ले पाएंगे और सीखने की प्रक्रिया उनके लिए बोझिल नहीं लगेगी.
*नई ऊर्जा का संचार*:
कम समय की पढ़ाई से बच्चों में नई ऊर्जा का संचार होगा, जिससे वे अगले सप्ताह के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो पाएंगे.
*शिक्षकों के लिए*:
* कार्यभार में कमी: शिक्षकों के लिए शनिवार का हाफ-डे उनके कार्यभार को कम करेगा, जिससे उन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए अधिक समय मिलेगा.
*बेहतर प्रदर्शन*:
कम तनाव और बेहतर आराम से शिक्षक अधिक ऊर्जा और उत्साह के साथ छात्रों को पढ़ा पाएंगे, जिसका सीधा लाभ छात्रों को मिलेगा.
*सकारात्मक कार्य-माहौल*:
शिक्षकों में संतोष बढ़ने से स्कूल में एक अधिक सकारात्मक और सहयोगात्मक कार्य-माहौल बनेगा.
*वर्तमान व्यवस्था से चुनौतियां*
वर्तमान में, शनिवार को भी पूरे दिन स्कूल लगने से बच्चों को कथित तौर पर मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. खेल और अन्य शारीरिक एवं मानसिक चेतना से जुड़ी गतिविधियों से वंचित रहने के कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. यह स्थिति बच्चों के समग्र विकास में बाधा डाल रही है और उन्हें बचपन के स्वाभाविक अनुभवों से दूर कर रही है!
*बिहार सरकार से अपील*
इस संवेदनशील मुद्दे पर बिहार सरकार से माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तत्काल गौर करने की अपील की जा रही है. शनिवार को ब्रिटिश काल से चले आ रहे *’हाफ-डे’* विद्यालय संचालन नियम को फिर से लागू करने से बच्चों और शिक्षकों दोनों को शारीरिक एवं मानसिक मजबूती मिलेगी. यह कदम न केवल शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाएगा, बल्कि सरकार के प्रति शिक्षकों और अभिभावकों में एक सकारात्मक संदेश और सहानुभूति भी उत्पन्न करेगा.
क्या आपको लगता है कि शनिवार को ‘हाफ-डे’ स्कूल बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा?
