हाई कोर्ट ने शिक्षकों की बढ़ाइ टेंशन, इन शिक्षकों की जा सकती है नौकरी 

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हाई कोर्ट ने शिक्षकों की बढ़ाइ टेंशन, इन शिक्षकों की जा सकती है नौकरी 

 

वहीं, वर्ष 2006 व 2008 की रिक्ति पर अपीलीय प्राधिकार से बहाल शिक्षकों की नौकरी भी दांव पर लग गई है।

विभाग से पत्राचार नहीं किया

जिला शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक किसी नियोजन इकाई द्वारा इस संबंध में कार्रवाई करते हुए विभाग से पत्राचार नहीं किया है। हालांकि विभाग का कहना है कि उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में ऐसे शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए ई- शिक्षाकोष पर उपस्थित दर्ज करने से रोक लगाई जा चुकी है।

डीइओ ने बयान में किया साफ

इस मामले में डीइओ राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि शिक्षकों को सेवा से हटाने संबंधी कार्रवाई के संबंध में अभी तक किसी नियोजन इकाई द्वारा पत्राचार नहीं किया गया है। मामले में नियोजन इकाई को स्मार पत्र भेजने की तैयारी विभाग कर रहा है।

शिक्षकों ने दायर की थी याचिका

कार्रवाई के अधीन आये शिक्षकों का नाम ई शिक्षाकोष से डिलीट कर दिया गया है। बता दें कि अपीलीय प्राधिकार से बहाल जिले के लगभग ढाई सौ से अधिक शिक्षकों के विरुद्ध डीपीओ स्थापना राज्य अपीलीय प्राधिकार गए थे। जहां इन सभी शिक्षकों के विरुद्ध आदेश पारित हुआ था। जहां पारित आदेश के विरुद्ध संबंधित सभी शिक्षक उच्च न्यायालय पटना में याचिका दायर किए थे। इसमें उन्हें अंतरिम स्थगन आदेश प्राप्त था।

शिक्षकों की याचिका हुई थी खारिज

पटना उच्च न्यायालय द्वारा सीडब्लयूजेसी नंबर 6170/2022 कामिनी कुमारी बनाम राज्य सरकार व अन्य तथा संबद्ध वादों में पटना उच्च न्यायालय द्वारा बिना रिक्ति के बिना अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर नियुक्त शिक्षकों के संदर्भ में राज्य अपीलीय प्राधिकार द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखते हुए इन शिक्षकों की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद डीइओ ने जिला के 83 शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का निर्देश सात अप्रैल को दिया था।

हाल शिक्षकों की नौकरी भी दांव पर

वर्ष 2006 व 2008 की रिक्ति पर अपीलीय प्राधिकार से बहाल शिक्षकों की नौकरी भी दांव पर लग गई है। डीपीओ स्थापना अवधेश कुमार ने उक्त रिक्ति पर अपीलीय प्राधिकार से बहाल शिक्षकों की सूची सभी बीईओ से मांगी है।

नियमों का उल्लंघन करने का मामला

विभाग का कहना है कि 2006 की रिक्ति को 2008 में सामंजित कर दिया गया। वहीं 2008 की शिक्षक नियोजन की रिक्ति को 2012 में सामंजित कर दिया गया। तृतीय चरण का शिक्षक नियोजन 2014 में पूर्ण हो गया। इसके बावजूद भी अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर बिना रिक्ति के ही शिक्षकों का नियोजन किया गया, जो नियमों के उल्लंघन के साथ साथ वित्तीय अनियमितता का द्योतक हैं।

जल्द दर्ज की जाएगी शिकायत

डीपीओ स्थापना ने बताया कि बीईओ द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के आधार पर राज्य अपीलीय प्राधिकार में जल्द ही शिकायत दर्ज कराई जाएगी। शिक्षा विभाग के इस कार्रवाई से शिक्षकों में हड़कंप है। इन शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी की आशंका है। यदि जांच में यह साबित हो जाता है कि इनकी नियुक्ति गलत तरीके से हुई है, तो इन्हें भी नौकरी से निकाला जा सकता है।

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