बिहार के सरकारी हाई स्कूलों में बच्चों को हिन्दी के टीचर पढ़ायेंगे अंग्रेजी और संस्कृत, शिक्षा विभाग का अजीबो-गरीब फरमान

बिहार के सरकारी हाई स्कूलों में बच्चों को हिन्दी के टीचर पढ़ायेंगे अंग्रेजी और संस्कृत, शिक्षा विभाग का अजीबो-गरीब फरमान
बिहार के सरकारी स्कूलों में 9वीं-10वीं से लेकर 11वीं और 12वीं के बच्चों को हिन्दी के टीचर अंग्रेजी और संस्कृत पढायेंगे.
शिक्षा विभाग ने हिन्दी से पीजी करने के बाद नौकरी में शिक्षकों को कहा है कि वे बच्चों को संस्कृत पढ़ाय़ें, जबकि उन्होंने इंटर से लेकर पीजी तक कभी संस्कृत पढ़ा ही नहीं. हद देखिये, बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी हाई स्कूलों में अब सिर्फ तीन शिक्षकों को रखने का फैसला लिया है, जो हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, बंगला, मैथिली, फारसी और अरबी भाषा जैसी तमाम भाषा पढ़ायेंगे. हिन्दी के टीचर से अंग्रेजी और संस्कृत का ज्ञान लेने वाले हाई स्कूल और इंटर के छात्र कैसी पढाई पढ़ेंगे, इसकी चिंता सरकार को नहीं है.
शिक्षा विभाग का नया फरमान
दरअसल, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने नया फरमान जारी किया है. ये फरमान सरकारी हाई स्कूल यानि माध्यमिक विद्यालयों को लेकर है. बिहार सरकार ने पहले से तय कर रखा था कि हर हाई स्कूल के लिए कुल 11 पद होंगे. अब नया फरमान जारी किया गया है, जिसमें माध्यमिक विद्यालयों में पहले से निर्धारित 11 पदों में से 03 पदों की कटौती कर दी गयी है. यानि किसी हाई स्कूल के लिए 8 पोस्ट होंगे, जिसमें हेडमास्टर, टीचर से लेकर चपरासी शामिल है.
अब नीतीश सरकार ने इस नियम को बदल दिया है. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने 5 फरवरी 2025 को नया आदेश निकाला है, इसमें स्कूलों में 6 पदों की कटौती कर दी है. किसी सरकारी स्कूल में भाषा की पढ़ाई के लिए अब तीन ही शिक्षक होंगे. यही शिक्षक छात्र-छात्राओं को हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, बंगला, मैथिली, फारसी और अरबी पढ़ायेंगे.
हिन्दी के टीचर अंग्रेजी पढ़ायेंगे
बिहार सरकार ने बिहार लोकसेवा आयोग यानि बीपीएससी के जरिये बड़े पैमान पर शिक्षकों की बहाली की है. बीपीएससी ने हाई स्कूल में विषय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की है. इंटरस्तरीय सरकारी स्कूल के लिए जो शिक्षक नियुक्त किये गये हैं, उनकी न्यूनतम योग्यता स्नातकोत्तर है. यानि जिसने हिन्दी में पीजी किया, उसे हिन्दी का टीचर बनाया गया. इसी तरह अंग्रेजी जैसे संस्कृत विषयों के लिए भी उस सब्जेक्ट में पीजी करने वालों को टीचर बनाया गया है.
बॉटनी के शिक्षक पढ़ायेंगे जूलॉजी
शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि शिक्षा विभाग का हाल ये है कि हिंदी से स्नातकोत्तर शिक्षक को यह आदेश दिया जा रहा है कि वे संस्कृत भी पढ़ायेंगे. जबकि उनका इण्टर से लेकर स्नातकोत्तर तक संस्कृत विषय नहीं रहा है. सरकार ने किसी क्लास में 60 विद्यार्थियों से अधिक नामांकन होने पर एक और सेक्शन बनाने का निर्देश दिया है. अलग सेक्शन के लिए और ज्यादा शिक्षक की जरूरत होगी. लेकिन शिक्षकों का पद कम कर दिया गया है.
दो एमएलसी ने उठायी आवाज
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ही नहीं बल्कि एमएलसी प्रो. संजय कुमार सिंह और डॉ. संजीव कुमार सिंह ने सरकार से कहा है कि वह माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पहले से स्वीकृत पद और अध्ययन-अध्यापन के विषय में कटौती नहीं करे. भारतीय संविधान में स्वीकृत उर्दू, संस्कृत, मैथिली, बंगला जैसे विषयों में किसी तरह की कटौती नहीं करने का प्रावधान है. बिहार के शिक्षा विभाग का मौजूदा आदेश संविधान का उल्लंघन है.
एमएलसी संजय कुमार सिंह ने इस मामले को बिहार विधान परिषद में उठाने का ऐलान किया है. उन्होंने विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया है. इसमें कहा गया है कि जो छात्र-शिक्षक अध्ययन-अध्यापन कर रहे हैं, उनके विषय और पदों की कटौती करना गंभीर मामला है. ये छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ करना है और इसके गंभीर परिणाम होंगे. ऐसी स्थिति में, छात्र-अभिभावक किसी का भी सपना पूरा नहीं किया जा सकता है.