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स्कूल में टाइम पास करने वाले शिक्षकों की खैर नहीं, सीधा ACS को देना पड़ा ऑर्डर

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स्कूल में टाइम पास करने वाले शिक्षकों की खैर नहीं, सीधा ACS को देना पड़ा ऑर्डर

 

 

स्कूलों में पठन-पाठन की जांच होगी, क्योंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही। स्कूल में आने के बाद शिक्षक क्या कर रहे हैं, इस पर किसी की नजर नहीं है। स्कूल में पठन-पाठन को छोड़कर सभी बिंदुओं की जांच होती है।

अपर मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी को इस संबंध में आदेश दिया है। स्कूलों में शिक्षक वास्तव में बच्चों को पढ़ा रहे हैं या नहीं, इसकी जांच होगी। निरीक्षण के क्रम में यह जानकारी मिली है कि हर चीज की जांच की जा रही है, लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता की जांच नहीं हो पा रही है।

ACS ने और क्या-क्या कहा?

  • एसीएस ने कहा, हमारे शिक्षक बच्चों को क्या पढ़ा रहे हैं या नहीं पढ़ा रहे हैं, इसकी चर्चा आज तक नहीं हुई है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को बेहतर शिक्षा देना है। इसके लिए हम सालाना करोड़ों रुपये खर्च भी कर रहे हैं।
  • अनवरत निरीक्षण से स्कूल में शिक्षक और बच्चों की उपस्थिति में सुधार है। बच्चे लगातार स्कूल पहुंच रहे हैं, लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता भी बेहतर होना चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं या नहीं, इसकी जांच होगी। इस दौरान अभिभावक से भी फीडबैक लिया जाएगा।
  • टाइम पास करने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। विभाग के इस कदम से शिक्षकों की बेचैनी बढ़ी है।

स्कूलों के निरीक्षण से एचएम की टेंशन खत्म

सरकारी स्कूलों के निरीक्षण से सबसे अधिक स्कूल के प्रधानाध्यापक खुश हैं, क्योंकि किसी भी शिक्षक को अब समय पर आने के लिए नहीं कहना पड़ रहा है। सभी शिक्षक स्वयं समय से पहले पहुंच रहे हैं।

निरीक्षण व्यवस्था से पूर्व हर दिन प्रधानाध्यापक और शिक्षक के बीच समय पर आने को लेकर विवाद होता था। इस व्यवस्था से प्रधानाध्यापक पूरी तरह से खुश हैं।

वहीं, टाइम पास करने वाले शिक्षकों पर सख्ती से भी प्रधानाध्यापक खुश हैं। अधिकांश स्कूल के शिक्षक स्वत: वर्ग कक्ष में नहीं जाते हैं। प्रधानाध्यापक के कहने के बाद ही बच्चों को पढ़ाने जाते हैं।

दिसंबर 1995 के बाद नियुक्त नियमित शिक्षकों से मांगे गए कागजात

दिसंबर 1995 के बाद नियुक्ति नियमित शिक्षकों को मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान देने की मांग को लेकर रविवार को बैठक हुई। इसमें कहा गया कि सरकार भेदभाव कर रही है। इसके खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर किया।

न्यायालय ने विभाग से नियुक्ति संबंधी सभी कागजात मांगे हैं। इस आलोक में शिक्षकों को कागजात सौंपने का आदेश दिया।

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