स्कुल निरिक्षण की निगरानी खुद से ACS करेंगे, निरिक्षण के नाम पर खानापूर्ति करने वाले कर्मी व अधिकारीयों पर होंगी कड़ी करवाई, सेवा तक हो सकती है समाप्त
स्कुल निरिक्षण की निगरानी खुद से ACS करेंगे, निरिक्षण के नाम पर खानापूर्ति करने वाले कर्मी व अधिकारीयों पर होंगी कड़ी करवाई, सेवा तक हो सकती है समाप्त
शिक्षा विभाग ने स्कूलों के निरीक्षण को और प्रभावी बनाने तथा इसके बेहतर परिणाम हासिल करने को लेकर कई अहम फैसले लिये हैं.
इसी क्रम में विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस सिद्धार्थ ने निर्देश दिया है कि मुख्यालय के सभी अधिकारियों की स्कूल निरीक्षण की रिपोर्ट निदेशक के माध्यम से उनके पास आएगी, ताकि उस पर तत्काल आवश्यकतानुसार निर्णय ले सकें.
इस संबंध में शिक्षा वभाग द्वारा जिला और विभागस्तर पर अलग-अलग निरीक्षण कराया जाता है. मुख्यालय से भेजे जाने वाले पदाधिकारियों को जिला आवंटन विभाग स्वयं करता है. पदाधिकारी करीब तीन महीने तक एक ही जिले के स्कूलों का निरीक्षण करते हैं, ताकि इस दौरान वह कमियों को दूर करा सकें. जिलास्तर पर स्कूलों के निरीक्षण कार्य देने की जिम्मेदारी उप विकास आयुक्तों को दी गयी है. शिक्षा विभाग ने साफ कहा है कि स्कूलों के निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति नहीं चलेगी. स्कूल में सुधार अनिवार्य रूप से होना और दिखना चाहिए तभी, सरकारी स्कूलों के प्रति बच्चों और अभिभावकों में विश्वास जगेगा. इससे स्कूलों में बच्चों की संख्या में इजाफा होगा और शिक्षा की गणुवत्ता में भी सुधार होगा.
कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को सौंपे जाने वाली रिपोर्ट से अलग होगी विभाग ने यह भी कहा है कि स्कूल में सुधार नहीं पाये जाने पर निरीक्षण करने वाले संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई होगी. विभाग के पदाधिकारी निरीक्षण रिपोर्ट कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में जमा करते रहे हैं. मगर अब वह एक अलग से भी रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसमें स्कूल की कमियों के साथ-साथ उसमें सुधार के उपाय भी बताएंगे. यह रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा निदेशक के माध्यम से अपर मुख्य सचिव के पास जाएगी. रिपोर्ट और सुझाव पर तत्काल कार्रवाई होगी.
स्कूल संचालन में आ रही कठिनाइयों को देखेंगे
विभाग ने पदाधिकारियों को कहा गया है कि स्कूल में निरीक्षण के दौरान वह पर्याप्त समय वहां पर देंगे. स्कूल की हर गतिविधि, पठन-पाठन और उपलब्ध सुविधाओं का संपूर्णता में निरीक्षण करेंगे. साथ ही निरीक्षण के दौरान प्रधानाध्यापक तथा शिक्षकों के साथ बातचीत करेंगे और जानेंगे कि स्कूल के संचालन में किस तरह की कठिनाइयां सामने आ रही हैं.