शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री वो शिक्षा मंत्री ने कहा की शिक्षकों की सैलरी व सम्मान एक IAS अधिकारी से अधिक मिलनी चाहिए तभी देश की शिक्षा मे आएगी क्रांति,  - News TV Bihar

शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री वो शिक्षा मंत्री ने कहा की शिक्षकों की सैलरी व सम्मान एक IAS अधिकारी से अधिक मिलनी चाहिए तभी देश की शिक्षा मे आएगी क्रांति, 

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शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री वो शिक्षा मंत्री ने कहा की शिक्षकों की सैलरी व सम्मान एक IAS अधिकारी से अधिक मिलनी चाहिए तभी देश की शिक्षा मे आएगी क्रांति, 

 

टीचर्स डे के अवसर पर दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक खास संदेश दिया है. उन्होंने दिल्ली नगर निगम के शिक्षक सम्मान समारोह में हिस्सा लेते हुए कहा कि देश में शिक्षकों का वेतन किसी भी सरकारी कर्मचारी यहां तक कि IAS अधिकारियों से भी अधिक होना चाहिए.

सिसोदिया ने जोर देते हुए कहा कि भारत में शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया गया है और इसलिए उनके वेतन को किसी भी सरकारी अधिकारी के वेतन से अधिक होना चाहिए. उन्होंने बताया कि दिल्ली के बच्चे आज बेहतरीन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और इसका श्रेय यहां के उत्कृष्ट शिक्षकों को जाता है.

विकसित भारत का सपना होगा पूरा

सिसोदिया ने कहा कि 30-35 साल के अनुभवी शिक्षकों की सैलरी को कैबिनेट सेक्रेटरी से भी अधिक होना चाहिए. उनका मानना है कि अगर 2047 में एक विकसित भारत का सपना पूरा करना है, तो हमें शिक्षकों को समाज में वह सम्मान देना होगा जिसकी हम लगातार बात करते हैं. शिक्षकों की सैलरी को सबसे ऊंचा स्तर पर पहुंचाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों की आय अधिक

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हुए बताया कि कई देशों में शिक्षकों की सैलरी काफी अधिक है. उदाहरण के लिए, जर्मनी में शिक्षकों की औसत सालाना सैलरी 72 लाख रुपये है जबकि वहां के अधिकारियों की औसत सैलरी 71 लाख रुपये है. इसी तरह बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और जापान जैसे देशों में भी शिक्षकों की आय काफी अधिक है.

जिम्मेदारियां होंगी अच्छे से पूरी

सिसोदिया का कहना है कि अब भारत में भी शिक्षकों को समान स्तर का सम्मान और वेतन देना चाहिए ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को और बेहतर तरीके से निभा सकें. उनका मानना है कि आज के स्कूलों में शिक्षकों के हाथों से ही 2047 का युवा भारत तैयार हो रहा है, इसलिए उन्हें उचितम न-सम्मान मिलना चाहिए.

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