बिहार मे शिक्षकों की लापरवाही का बड़ा खुलासा आया सामने, बिभागीय जाँच से सेकड़ो शिक्षकों के कॅरियर पर मंडराया खतरा 

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बिहार मे शिक्षकों की लापरवाही का बड़ा खुलासा आया सामने, बिभागीय जाँच से सेकड़ो शिक्षकों के कॅरियर पर मंडराया खतरा 

 

 

डिजिटल सिस्टम की आड़ में उपस्थिति को लेकर लापरवाही और हेराफेरी की पुष्टि हुई है, जिसने शिक्षा व्यवस्था की साख को गंभीर रूप से प्रभावित किया है.

सेल्फी की जगह कमरे की फोटो, Out टाइम मिसिंग

जांच में यह पाया गया कि कई शिक्षकों ने नियमों को ताक पर रखते हुए सेल्फी की जगह कमरे या स्कूल की तस्वीर अपलोड की. कुछ शिक्षकों की सेल्फियां ‘Not Synced’ की स्थिति में पाई गईं, यानी सर्वर तक पहुंची ही नहीं. कई मामलों में Out टाइम की सेल्फी पोर्टल पर थी ही नहीं. इतना ही नहीं, एक मामले में तो दूसरे शिक्षक की सेल्फी लगाकर उपस्थिति दर्ज करने जैसी गंभीर गड़बड़ी उजागर हुई.

DEO की सख्ती: “प्रधानाध्यापकों की मिलीभगत से हो रहा खेल”

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (योजना एवं लेखा), जमुई ने इस पूरे मामले को चिंताजनक बताया है. उन्होंने साफ कहा कि यह स्पष्ट है कि संबंधित शिक्षकों को प्रधानाध्यापकों का संरक्षण प्राप्त है. उन्होंने सभी प्रधानाध्यापकों को 48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है, साथ ही संबंधित शिक्षकों से व्यक्तिगत जवाब भी मांगा गया है.

ई-शिक्षाकोष: पारदर्शिता का साधन या कागजी खानापूरी?

ई-शिक्षाकोष को शिक्षकों की उपस्थिति में पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया था. यह क्लाउड बेस्ड प्रणाली है, जो शिक्षकों के इन और आउट समय को सेल्फी के साथ रिकॉर्ड करती है. लेकिन लगातार ‘Not Synced’ सेल्फी, टाइम रिकॉर्ड की गड़बड़ी और जानबूझकर की गई हेराफेरी इस बात की ओर इशारा करती है कि तकनीक के बावजूद जवाबदेही अब भी लापता है.

अब अन्य प्रखंडों पर भी गिरेगी गाज

मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग अब अन्य प्रखंडों में भी इसी तरह की जांच की तैयारी में है. यह स्पष्ट है कि यदि शुरुआत में ही ऐसी गड़बड़ियां पकड़ में आ रही हैं, तो पूरे जिले में इसकी गहराई तक जाना जरूरी हो गया है.

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