DEO और DPO पर लटक रही कार्रवाई की तलवार! शिक्षा विभाग ने मार्च खत्म होने से पहले दे दी अंतिम चेतावनी

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DEO और DPO पर लटक रही कार्रवाई की तलवार! शिक्षा विभाग ने मार्च खत्म होने से पहले दे दी अंतिम चेतावनी

 

शिक्षा विभाग ने एसी-डीसी बिल जमा नहीं करने वाले जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

31 मार्च से पहले एसी-डीसी बिल विपत्र जमा करना अनिवार्य है।

साथ ही, शिक्षा विभाग ने विभिन्न योजनाओं की राशि के वाउचर या चालान जमा करने का निर्देश दिया है।

शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को स्पष्ट तौर से कहा है कि विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में वित्तीय प्रबंधन को प्राथमिकता देनी होगी।

साथ ही, खर्च राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र समय से देना होगा। इसमें देरी होने का मतलब है कि एसी-डीसी बिल को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।

बता दें कि राज्य में स्कूली शिक्षा व्यवस्था पर खर्च 737.44 करोड़ का हिसाब नहीं मिल रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) को सप्ताह भर के अंदर एसी-डीसी बिल देने को कहा है।

अवकाश के दिन भी शिक्षकों को विद्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश

  • सभी हाइस्कूलों के प्रधानाध्यापक एवं अन्य संबंधित कर्मचारियों को 31 मार्च तक रविवार एवं अन्य विभागीय अवकाश के दिन भी विद्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।
  • इससे संबंधित निर्देश शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया गया। विदित हो कि इन स्कूलों में एफटीटीएच ब्राडबैंड कनेक्टिविटी बीएसएनएल के माध्यम से दी जाएगी।
  • इसके लिए सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को अवकाश के दिन भी विद्यालय खुला रखने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश 31 मार्च तक प्रभावी होगा।

शिक्षा विभाग ने गलत जीएसटी वाली एजेंसी को किया 25 लाख का भुगतान

मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न स्कूलों में सबमर्सिबल, बेंच डेस्क व प्रीफैब स्ट्रक्चर में गड़बड़ी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने गलत जीएसटी वाली एजेंसी को लाखों रुपये का भुगतान किया है। ऑडिट टीम ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के इस अनियमितता को पकड़ा है।

टीम ने ऐसी एजेंसी को कार्य आवंटित किए जाने पर भी सवाल खड़ा किया है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की बैठने की समस्या पर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव ने तत्काल प्री फैब स्ट्रक्चर के निर्माण का आदेश दिया था।

इस पर जिले के विभिन्न स्कूलों में इसका निर्माण कराया गया। विभाग ने एजेंसी को कार्य आवंटन कर दिया। बिना गुणवत्ता जांच किए भुगतान भी किया गया है।

इसी कड़ी में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) ने 18 मार्च 2024 को बच्चों को बैठने के लिए प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालयों में प्री फैब के लिए अशोक कुमार एजेंसी का 25 लाख का बिल पारित किया गया।

ऑडिट टीम ने कार्यालय के कागजात की जांच की। इसमें पाया कि अशोक कुमार एजेंसी के अभिश्रव में जो जीएसटी संख्या का उल्लेख है वह गलत है।

गलत जीएसटी संख्या वर्णित होने के बाद भी इस एजेंसी का प्री फैब स्ट्रक्चर निर्माण के लिए क्यों चयन किया गया? आडिटर ने पूछा कि बिना उचित जीएसटी पंजीकरण के प्री फैब स्ट्रक्चर के लिए कार्य क्यों दिया गया?

इस संबंध में लेखापरीक्षा को अवगत कराया जाए। आडिट आपत्ति का जवाब देने में शिक्षा अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि हर स्तर पर गड़बड़ी हुई है।

ऑडिटर रिपोर्ट आने के बाद से जिलाधिकारी के स्तर से गठित जांच टीम की रिपोर्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई शिक्षकों ने कहा अधिकारियों को बचाने का काम किया जा रहा है।

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