बिहार के सभी सरकारी स्कूल में होंगे 3 बड़े बदलाव, सभी अधिकारियो की रुक जाएगी मनमानी
बिहार के सभी सरकारी स्कूल में होंगे 3 बड़े बदलाव, सभी अधिकारियो की रुक जाएगी मनमानी
बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के 81 हजार सरकारी विद्यालयों की रैंकिंग करने की योजना बनाई गई है, जो नए शैक्षणिक सत्र से पहले लागू की जाएगी।
इस रैंकिंग का मुख्य उद्देश्य विद्यालयों के समग्र प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है, ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सके और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
रैंकिंग का तरीका और मापदंड
शिक्षा विभाग के अनुसार, मार्च में विद्यालयों की रैंकिंग कराई जाएगी। यह रैंकिंग प्रत्येक विद्यालय के समग्र प्रदर्शन के आधार पर होगी। इसमें कई महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा, जैसे- शिक्षण और अधिगम की गुणवत्ता, संसाधनों का उपयोग, स्कूल की साफ-सफाई, स्वच्छता, शिकायत निवारण प्रणाली और अन्य गतिविधियाँ। इन सभी पहलुओं के आधार पर कुल 100 अंक निर्धारित किए गए हैं, जिनके आधार पर रैंकिंग की जाएगी।
राज्य में 43 हजार प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां पहली से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। इसके अलावा 29 हजार मध्य विद्यालय हैं, जहां पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। साथ ही 9 हजार 360 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं, जहां नौवीं से बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा प्रदान की जाती है। इन सभी विद्यालयों के लिए अलग-अलग रैंकिंग की प्रक्रिया होगी, और प्रत्येक कोटि के विद्यालय के लिए अलग-अलग फार्मेट उपलब्ध कराए गए हैं।
रैंकिंग का तरीका और श्रेणियाँ
रैंकिंग में विद्यालयों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाएगा। जिन विद्यालयों को 85 से 100 अंक मिलेंगे, उन्हें ‘फाइव स्टार’ की रैंकिंग दी जाएगी, जो कि सबसे उच्चतम स्तर है। इन विद्यालयों को ए प्लस ग्रेड दिया जाएगा। वहीं, 75 से 84 अंक हासिल करने वाले विद्यालयों को ‘फोर स्टार’ रैंकिंग प्राप्त होगी और उन्हें ए ग्रेड मिलेगा। 50 से 74 अंक पाने वाले विद्यालयों को ‘थ्री स्टार’ रैंकिंग के साथ बी ग्रेड मिलेगा। 25 से 49 अंक पाने वाले विद्यालयों को ‘टू स्टार’ रैंकिंग के साथ सी ग्रेड मिलेगा, और 0 से 24 अंक पाने वाले विद्यालयों को ‘वन स्टार’ रैंकिंग दी जाएगी, जो कि सबसे कम स्तर है।
रैंकिंग से शिक्षा व्यवस्था में सुधार
विद्यालयों की रैंकिंग से न केवल विद्यालयों की स्थिति स्पष्ट होगी, बल्कि छात्रों के प्रदर्शन का भी मूल्यांकन किया जाएगा। इस रैंकिंग के माध्यम से कमजोर विद्यालयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और उन्हें सुधारने की कोशिश की जाएगी। यह प्रक्रिया छात्रों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी क्योंकि इससे शिक्षकों को छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव लगातार वीडियो कॉलिंग के माध्यम से स्कूलों की निगरानी कर रहे हैं और स्कूलों से नियमित रिपोर्ट ले रहे हैं। उन्होंने कई बार विद्यालयों से सवाल-जवाब भी किए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुधार की प्रक्रिया सही दिशा में चल रही है।
