फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल तीन शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज, साल 2007 से कर रहे थे नौकरी
फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल तीन शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज, साल 2007 से कर रहे थे नौकरी
बिहार में शिक्षा विभाग की पारदर्शिता को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। मधुबनी जिले के पंडौल प्रखंड के बथने पंचायत में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बहाल तीन शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, पटना के आदेश पर पंडौल थाना में बुधवार को इन शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। जांच में खुलासा हुआ कि तीनों शिक्षक 2007 से फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित थे और वर्षों से सरकारी वेतन ले रहे थे। अब इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों का पर्दाफाश
सूत्रों के अनुसार, फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले तीनों शिक्षक बथने पंचायत के ही स्कूलों में कार्यरत थे। इनकी पहचान राजेश कुमार वर्मा, अनिल कुमार और विद्यानंद सिंह के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि राजेश कुमार वर्मा पिता गिरीश्वर नारायण सिंह मधुबनी के स्टेडियम रोड हनुमान ग्राम नगर का रहने वाला है। यह शिक्षक 2007 से बथने पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत था। वहीं, अनिल कुमार पिता गंगा राम मधुबनी के ग्राम रामपट्टी का निवासी है। यह शिक्षक 2007 से पंडौल के कमलाबाड़ी विद्यालय में फर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजित था। जबकि विद्यानंद सिंह पिता सोलहम सिंह खजौली के ग्राम सतेर का रहने वाला है। यह शिक्षक रा. उ. म. विद्यालय बथने में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बहाल किया गया था। जांच में पुष्टि हुई कि तीनों शिक्षकों के प्रमाण पत्र और अंक पत्र मणिपुर से निर्गत दिखाए गए थे, जो फर्जी पाए गए।
प्रमाण पत्र की सत्यता पर उठे सवाल
शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए सत्यापन में पाया गया कि तीनों शिक्षकों के प्रमाण पत्र कार्यालय अभिलेख के अनुसार वैध नहीं थे। उनके द्वारा प्रस्तुत एचटीसीई 1995 के अंक पत्र और प्रमाण पत्र पूरी तरह फर्जी निकले। विद्यानंद सिंह का रोल नंबर 24, कुल प्राप्त अंक 528, प्रथम श्रेणी का अंक पत्र और प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। अनिल कुमार का रोल नंबर 20, कुल प्राप्त अंक 539, प्रथम श्रेणी का अंक पत्र फर्जी निकला। राजेश कुमार वर्मा का रोल नंबर 92, कुल प्राप्त अंक 574, प्रथम श्रेणी का अंक पत्र भी जाली निकला। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा गहन जांच के बाद स्पष्ट हुआ कि इन शिक्षकों ने किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ मिलकर कूटरचित (फर्जी) प्रमाण पत्र तैयार किए और सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली।
फर्जीवाड़े में अन्य लोगों की संलिप्तता की भी जांच जारी
शिक्षकों द्वारा फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल कर सरकारी नौकरी हथियाने की इस साजिश में अन्य लोगों की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जांच एजेंसियां यह भी पता लगा रही हैं कि क्या यह मामला सिर्फ तीन शिक्षकों तक सीमित है या इस जालसाजी के पीछे कोई बड़ा गिरोह सक्रिय है।
दोषियों पर कानूनी शिकंजा कसने की योजना
इस पूरे मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो और जिला शिक्षा विभाग पूरी तरह गंभीर है। एफआईआर दर्ज होने के बाद तीनों शिक्षकों पर कानूनी शिकंजा कसने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, अगर दोष सिद्ध होता है, तो संबंधित शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
