ACS सिद्धार्थ के तेवर सख्त,जनवरी से दिखेगा बड़ा बदलाव,15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने का आदेश…

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ACS सिद्धार्थ के तेवर सख्त,जनवरी से दिखेगा बड़ा बदलाव,15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने का आदेश…

शिक्षा विभाग राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में संचालित स्व-वित्तपोषित एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की आधारभूत संरचना की जांच करेगा। इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस.

सिद्धार्थ ने उच्च शिक्षा निदेशालय को टीम गठित करने का निर्देश दिया है। यह प्रक्रिया जनवरी से शुरू की जाएगी।

शिक्षा विभाग के अनुसार, सभी विश्वविद्यालयों के अंगीभूत महाविद्यालयों और मान्यता प्राप्त कॉलेजों में शैक्षणिक आधारभूत संरचना की जांच आवश्यक है, क्योंकि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में बीबीए, बीसीए और बीएमएस सहित अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के नामांकन की सशर्त अनुमति दी गई है।

शिक्षा विभाग ने व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के संचालन को लेकर सभी विश्वविद्यालयों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं।

रोजगार एवं नियोजन पर ध्यान: व्यावसायिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना और उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण देना है।

कोर्स का चुनाव: ऐसे पाठ्यक्रम चिह्नित किए जाएं, जिनकी शिक्षण व्यवस्था महाविद्यालय स्वयं अपने शिक्षकों के माध्यम से कर सके। विषय और संसाधन: प्रत्येक महाविद्यालय को 25 व्यावसायिक विषयों की सूची में से कम से कम दो पाठ्यक्रम संचालित करने होंगे। अधिकतम पाठ्यक्रमों की संख्या स्थानीय संसाधनों और विषय विशेषज्ञता के आधार पर तय की जाएगी।

सीट और गुणवत्ता का निर्धारण: उपलब्ध संसाधनों के अनुसार महाविद्यालयों को प्रत्येक पाठ्यक्रम में सीटों, बैच और प्रति बैच छात्रों की संख्या सुनिश्चित करनी होगी ताकि पाठ्यक्रम की गुणवत्ता बनी रहे। छात्रों को केवल महाविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए पाठ्यक्रमों से ही व्यावसायिक पाठ्यक्रम का चयन करना होगा। सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक समान नियम लागू होंगे

शिक्षा विभाग स्व-वित्तपोषित और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में मनमानी रोकने के लिए सख्त कदम उठा रहा है। बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के सचिव एवं परियोजना निदेशक बैद्यनाथ यादव ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग नियम नहीं होने चाहिए।

विश्वविद्यालयों को 15 दिनों के भीतर स्व-वित्तपोषित और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जुड़ी जानकारी देनी होगी।

इसके लिए एक फॉर्मेट जारी किया गया है, जिसमें विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रमों के नाम, नियम, मान्यता, अनुमोदित सीटों की संख्या आदि की पूरी जानकारी देनी होगी।

सभी विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, राज्य स्तर पर एक समान नियम बनाकर सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर लागू किए जाएंगे।

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